UPTET/CTET Hindi Language Practice Set 51 : CTET की परीक्षा प्रारंभ हो चुकी है जो कि 13 जनवरी तक चलने वाली है। जिसके लिए अभ्यार्थी कई महीनों से अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं और इसकी परीक्षा ऑनलाईन माध्यम द्वारा कराई जा रही है। UPTET की परीक्षा 23 जनवरी 2022 को आयोजित कराई जाएगी। फ़िलहाल तैयारी का अंतिम समय चल रहा है। सभी अभ्यर्थी अपनी तैयारी बहुत ही तेजी से कर रहे हैं।
ऐसे में इस लेख के जरिये हम आपको UPTET/CTET के परीक्षा में पूछे गए विगत वर्षों के हिंदी भाषा के 30 महत्वपूर्ण प्रश्नों से अवगत कराएंगे, जिसका अध्ययन कर के आप अपनी तैयारी को और भी मजबूती प्रदान कर सकतें हैं।
UPTET/CTET Hindi Language Practice Set 51
प्रश्न : कहानियों की विभिन्न शैलियों पर की गई चर्चा बच्चों को ……… में मदद करती है।
- कहानी के तत्त्वों को याद करने
- कहानियों की कमियाँ बताने
- व्याकरण समझने
- कहानियाँ रचने
उत्तर : 4
प्रश्न : संदर्भ में व्याकरण किस पर बल देता है?
- पाठ के अंत में दिए समस्त भाषा-अभ्यास को पूर्ण करवाने पर
- पाठ पढ़ाते समय प्रसंगवश आने वाले व्याकरणिक बिंदुओं को स्पष्ट करने पर।
- पाठ के अंत में समस्त व्याकरणिक बिंदुओं को स्पष्ट करने पर।
- पाठ के दौरान आए समस्त व्याकरणिक बिंदुओं की परिभाषा बताने पर।
उत्तर : 2
प्रश्न : प्रत्येक भाषा शिक्षक को इस बात की जानकारी जरूर होनी चाहिए कि उसकी कक्षा के बच्चों की ……… पृष्ठभूमि क्या है।
- भाषिक व सांस्कृतिक
- सांस्कृतिक व आर्थिक
- आर्थिक व सामाजिक
- सामाजिक व व्यावसायिक
उत्तर : 1
प्रश्न : त्रिभाषा सूत्र के अनुसार स्कूल में पहली भाषा जो पढ़ाई जाए वह ………… हो या …….. भाषा।
- हिन्दी, अंग्रेजी
- अंग्रेजी, विदेशी
- मातृभाषा, क्षेत्रीय
- मातृभाषा, हिन्दी
उत्तर : 3
प्रश्न : व्याकरण पढ़ाने की आगमन विधि ………. पर सर्वाधिक बल देती है।
- उदाहरणों
- नियमों
- मानकता
- परिभाषा
उत्तर : 1
प्रश्न : भाषा के संदर्भ में संचार माध्यमों का प्रयोग न केवल सामाजिक संवेदनाएँ विकसित करता है बल्कि ……….. को समझने में मदद करता है।
- विभिन्न माध्यमों के उपयोग
- विभिन्न माध्यमों की आर्थिक स्थिति
- विभिन्न माध्यमों की जानकारी
- विभिन्न माध्यमों में प्रयुक्त भाषा
उत्तर : 4
प्रश्न : सातवीं कक्षा में पढ़ाने वाले ऋषभ ने बच्चों को ‘जल संरक्षण पर आधारित सरकार द्वारा जारी पोस्टर दिखाया और चर्चा की। ऋषभ द्वारा प्रयुक्त सामग्री है
- कृत्रिम
- प्रामाणिक
- अनुपयोगी
- मनोरंजक
उत्तर : 2
प्रश्न : कविता शिक्षण के समय शिक्षक द्वारा ऐसे प्रश्नोत्तर पर बल देना चाहिए
- जिनका एक ही उत्तर हो।
- जिनका उत्तर पुस्तक में दिया हो।
- जिनके उत्तर सरल हो।
- जिनके उत्तर विभिन्न हों।
उत्तर : 4
प्रश्न : गद्य शिक्षण में अपेक्षित नहीं है
- तार्किक शक्ति का विकास
- अनुकरण क्षमता का विकास
- भाषा की बारीकियाँ समझना
- कल्पनाशीलता का विकास
उत्तर : 2
प्रश्न : गद्य रचना को पद्य में रूपांतरित करना और पद्य को गद्य में रूपांतरित करने ………….. में मदद करता है।
- भाषायी संरचनाओं पर अधिकार
- भाषा-व्याकरण पर अधिकार
- साहित्य के सर्वोत्कृष्ट सृजन
- अभ्यास-प्रश्नों को गढ़ने
उत्तर : 1
प्रश्न : आठवीं कक्षा में हिन्दी भाषा सीखने-सिखाने के लिए आप किस सामग्री को सर्वाधिक महत्त्व देंगे?
- व्याकरण की पुस्तक
- पाठ्य पुस्तक
- पोस्टर
- साहित्यिक सामग्री
उत्तर : 4
प्रश्न : आप छठी कक्षा के बच्चों के लिए हिन्दी भाषा सीखने-सिखाने की किस पद्धति का समर्थन करेंगे?
- जिसमें बच्चे परस्पर अंतः क्रिया करते हैं।
- जिसमें बच्चे केवल लेखन कार्य करते हैं।
- जिसमें बच्चों को बोलने के अवसर मिले।
- जिसमें बच्चों को पाठ्य पुस्तक बिलकुल न पढ़नी हो।
उत्तर : 1
प्रश्न : हिन्दी भाषा की पाठ्य पुस्तकों में हिन्दीतर भाषाओं रचनाओं को भी स्थान मिलना चाहिए ताकि
- बच्चे हिंदीतर भाषाओं पर अपनी पकड़ बना सकें।
- बच्चे हिंदीतर भाषाओं के व्याकरण से परिचित हो सकें। बच्चों को हिन्दीतर रचनाकारों की जानकारी मिल जाए।
- बच्चे हिंदीतर रचनाओं की भाषिक विशेषताओं परिचित हो सकें।
उत्तर : 4
प्रश्न : उच्च प्राथमिक स्तर पर हिन्दी भाषा शिक्षण का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है
- हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध रचनाकारों को जानना ।
- हिन्दी भाषा की प्रसिद्ध रचनाओं को जानना ।
- हिन्दी भाषा की नियमबद्ध प्रकृति को पहचानना।
- हिन्दी भाषा के व्याकरण को कंठस्थ करना ।
उत्तर : 3
प्रश्न : भाषण, परिचर्चा, संवाद, बच्चों की …….. क्षमता का विकास करने में सहायक हैं।
- कल्पनाशीलता
- अनुकरण
- लिखित अभिव्यक्ति
- मौखिक अभिव्यक्ति
उत्तर : 4
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए निम्नलिखित आठ प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए :
घायल बाज़ फिर उड़ना चाहता था। उसने किसी तरह साहस बटोरकर उड़ान भरी और थोड़ी देर पंख फड़फड़ाकर उड़ने के बाद नीचे गिर गया। साँप ने भी ऊँचाई पर बने अपने खोखल से निकलकर अपने को आसमान में छोड़ दिया और नीचे जा गिरा। साँप कहने लगा
“सो उड़ने का यही आनंद है-भर पाया मैं तो! पक्षी भी कितने मूर्ख हैं। धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते थे। किंतु अब मैंने जान लिया कि आकाश कुछ में नहीं रखा। केवल ढेर-सी रोशनी के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं, शरीर को सँभालने के लिए कोई स्थान नहीं, कोई सहारा नहीं। फिर वे पक्षी किस बूते पर इतनी डींगें हाँकते हैं, किसलिए धरती के प्राणियों को इतना छोटा समझते हैं। अब मैं कभी धोखा नहीं खाऊँगा, मैने आकाश देख लिया और खूब देख लिया। बाज़ तो बड़ी-बड़ी बातें बनाता था, आकाश के गुण गाते थकता नहीं था। उसी की बातों में आकर मै कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया। आकाश में अब तो मेरी यह बात और भी पक्की हो गई है कि अपनी खोखल से बड़ा सुख और कहीं नहीं है। धरती पर रेंग लेता हूँ, मेरे लिए यह बहुत कुछ है। मुझे आकाश की स्वच्छन्दता से क्या लेना-देना? न वहाँ छत है, न दीवारें हैं, न रेंगने के लिए जमींन है। मेरा तो सिर चकराने लगता है। दिल काँप-काँप जाता है। अपने प्राणों को खतरे में डालना कहाँ की चतुराई है ?"
साँप सोचने लगा कि बाज़ अभागा था जिसने आकाश की आजादी को प्राप्त करने में अपने प्राणों की बाज़ी लगा दी।
किन्तु कुछ देर बाद साँप के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उसने र सुना, चट्टानों के नीचे से एक मधुर, रहस्यमय गीत की आवाज उठ रही है। पहले उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। किंतु कुछ देर | बाद गीत के स्वर अधिक साफ सुनाई देने लगे। वह अपनी गुफा से बाहर आया और चट्टान से नीचे झाँकने लगा। सूरज की सुनहरी | किरणों में समुद्र का नीला जल झिलमिला रहा था। लोग मिलकर गा रहे थे -
“ओ निडर बाज़! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त - बहाया है। पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूंद जिंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।
तुमने अपना जीवन बलिदान कर दिया किंतु फिर भी तुम अमर हो। जब कभी साहस और वीरता के गीत गाए जाएँगे, तुम्हारा नाम बड़े गर्व और श्रद्धा से लिया जाएगा।'
प्रश्न : “स्वतंत्रता” के पद परिचय के बारे में क्या उपयुक्त
नहीं है?
- ‘ता’ उपसर्ग
- एकवचन
- संज्ञा
- भाववाचक
उत्तर : 1
प्रश्न : घायल होते हुए भी बाज़ ने उड़ान भरी, क्योंकि
- उसे मुक्त आकाश की स्वच्छन्दता प्रिय थी।
- उसे अपनी निडरता का प्रमाण देना था।
- उड़ना उसकी विवशता थी।
- इससे वह शीघ्र अच्छा हो सकता था।
उत्तर : 1
प्रश्न : “कीमती रक्त” में दोनों शब्द क्रमशः हैं
- संज्ञा, सर्वनाम
- उद्देश्य, विधेय
- विशेष्य, विशेषण
- विशेषण, विशेष्य
उत्तर : 4
प्रश्न : ‘ओ निडर बाज!’
उपर्युक्त पद में कारक की पहचान कीजिए
- संबंध कारक
- कर्ता कारक
- संबोधन कारक
- कर्म कारक
उत्तर : 3
प्रश्न : “भर पाया मैं तो ……..” साँप के इस कथन का आशय है
- आनंद आ गया, अब बैठा रहूँगा।
- समझ गया, अब धोखा नहीं खाऊँगा।
- देख लिया, अब नहीं देखूँगा।
- मन भर गया, अब नहीं उडूंगा।
उत्तर : 4
प्रश्न : आकाश के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए और वे कथन चुनिए जिन्हें सौंप असत्य मानता है
(i) वहाँ ढेर सारी रोशनी है।
(ii) वहाँ कोई आधार नहीं है।
(iii) वहाँ सुख ही सुख है।
- (ii) और (iii)
- केवल (iii)
- केवल (i)
- (i) और (ii)
उत्तर : 2
प्रश्न : साँप के आश्चर्य का ठिकाना न रहा, क्योंकि –
- लोग बाज़ की वीरता के गीत गा रहे थे।
- लोग साँप की समझदारी की प्रशंसा कर रहे थे।
- घायल बाज़ उड़ने लगा था।
- सूरज की किरणों से समुद्री जल झिलमिला रहा था।
उत्तर : 1
प्रश्न : साँप सोचने लगा, “बाज़ अभागा था…….” क्योंकि
- आजादी के लिए उसने जान की बाज़ी लगा दी।
- प्रयास करने पर भी वह उड़ नहीं पाया।
- उसने घायल अवस्था में भी उड़ना चाहा।
- वह बहुत घायल हो गया था।
उत्तर : 1
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए निम्नलिखित सात प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएः
जिंदगी में धूप-छाँव के सिद्धान्त को मानने वाले फूलों के साथ काँटों की मौजूदगी की शिकायत नहीं करते। यह संभव नहीं कि बिना अड़चन और चुनौतियों के दैनिक कार्य या विशेष कार्य सम्पन्न होते चले जाएँ। जो इन अप्रिय, अप्रत्याशित घटनाओं से जूझने के लिए |स्वयं को तैयार नहीं रखेंगे उनके लिए जीवन अभिशाप बन जाएगा। वे पग-पग पर चिंतित और दुखी रहेंगे और संघर्षों के उपरान्त मिलने वाले आनंद से वे वंचित रह जाएँगे। मुश्किल परिस्थितियों में संयत, धीर व्यक्ति भी विचलित हो सकता है। सन्मार्ग पर चलने वाले की राह में कम बाधाएँ नहीं आतीं।
हम जीवित हैं तो कठिनाइयाँ, चुनौतियाँ आएँगी ही। किंतु स्मरण रहे, कठिनाइयों और बाधाओं का प्रयोजन हमें तोड़ना-गिराना नहीं | बल्कि ये हमें सुदृढ़ करने के माध्यम हैं। बाधाओं का सकारात्मक पक्ष यह है कि कठिनाइयों से निबटने में उन कौशलों और जानकारियों का प्रयोग आवश्यक होता है जो सामान्य अवस्था में सुषुप्त, निष्क्रिय पड़ी रहती हैं और दुष्कर परिस्थितियों से जूझने पर ही सक्रिय स्थिति में आती हैं। सुधी जन को यह पता होता है। अमेरिकी रंगकर्मी और पत्रकार विल रोजर्स ने कहा, 'कठिनाई से उबरने का मार्ग इसी के बीच मिल जाता है।' समस्याओं से नहीं जूझेंगे तो ये विशिष्ट कौशल स्थायी रूप से क्षीण हो जाएँगे तथा व्यक्ति समग्र तौर पर जीने में अक्षम हो जाएगा।
हो सकता है कोई व्यक्ति एक तख्त पर सोते हुए कष्ट महसूस करे जबकि दूसरा व्यक्ति उसी तख्त को आरामदायक महसूस करे। मगर असमानता आरंभिक स्तर की है। आंतरिक या मूलगत भाव से एक व्यक्ति की दूसरे से कोई भी मित्रता नहीं है।
जिसका मन जितने विस्तृत क्षेत्र के विषयों की ओर भागता है। उसके लिए मन एकाग्र करना उतना ही मुश्किल होता है। लेकिन एक व्यक्ति के मन को आकर्षित करने वाली वस्तुएँ किसी अन्य मनुष्य को मानसिक स्तर पर प्रभावित कर सकती हैं और एसे ही। किसी अन्य व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा में मददगार भी साबित हो सकती हैं। इसी बिन्दु पर यह बात समझने की है कि दूसरे के प्रति अपनी पवित्र या शुभ भावना के द्वारा हम अनेक व्यक्तियों की मानस तरंगों में परिवर्तन कर सकते हैं।
प्रश्न : ‘जिंदगी में धूप-छाँव के सिद्धान्त को मानने वाले फूलों के साथ काँटों की शिकायत नहीं करते क्योंकि वे जानते हैं कि
- अप्रत्याशित घटनाओं से जूझना ही पड़ता है।
- शिकायत करना कोई अच्छी आदत नहीं।
- सुखों के साथ दुःख भी आते हैं।
- दैनिक कार्य सम्पन्न होते रहते हैं।
उत्तर : 3
प्रश्न : किनका जीवन अभिशाप बन जाता है?
- जो जिंदगी में धूप-छाँव के सिद्धान्त को मानते है।
- जो सदा सन्मार्ग पर चलते हैं।
- जो शिकायते ही करते रहते हैं।
- जो अप्रिय घटनाओं से जूझने को तैयार नहीं रहते।
उत्तर : 4
प्रश्न : लेखक का कथन है कि आरंभिक स्तर की असमानता के होते हुए भी भीतरी भाव से
- एक-दूसरे में कोई मित्रता नहीं होती।
- हमें कौशलों और जानकारियों का उपयोग करना होता है।
- सब लोग एक-सा सोचते हैं।
- मनुष्य विषयों की ओर भागता है।
उत्तर : 1
प्रश्न : ‘निष्क्रिय’ शब्द के लिए सबसे उपयुक्त विपरीतार्थक शब्द होगा
- कार्यशील
- सकर्मक
- क्रियाहीन
- सक्रिय
उत्तर : 4
प्रश्न : अन्य व्यक्तियों की मानसिक तरंगों में परिवर्तन करना संभव है
- उसके प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करके।
- अपनी शुभ और पवित्र भावना के द्वारा।
- उसे सुझाव देकर।
- उसे समझाकर कि सुख-दुःख अभिन्न है।
उत्तर : 2
प्रश्न : लेखक के अनुसार यह असंभव है कि
- संघर्षों के बाद हम आनंदों से वंचित रह जाएँ।
- फूलों के साथ काँटे न मिलें।
- किसी के जीवन में सदा सुख ही सुख रहें।
- बिना अड़चन के कार्य होते चले जाएँ।
उत्तर : 4
प्रश्न : लेखक मानता है कि कठिनाइयों का वास्तविक प्रयोजन है
- हमारा दृष्टिकोण बदलना
- हमें सुदृढ़ करने का माध्यम बनना।
- हमें तोड़ना-गिराना
- हमारे मार्ग में रूकावटें पैदा करना ।
उत्तर : ??